सात मुखी रुद्राक्ष : अनंगस्वरूप का दिव्य आशीर्वाद
शास्त्रीय प्रमाण
श्री शिवमहापुराण, प्रथम खण्ड, विद्येश्वर संहिता, अध्याय 25, श्लोक 72 में उल्लेख है,
"सप्तमुखी रुद्राक्ष ‘अनंग’ नाम से प्रसिद्ध है। इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है।"
इसी प्रकार, श्रीमद् देवीभागवत महापुराण, द्वितीय खण्ड, एकादश स्कन्ध, चतुर्थ अध्याय, श्लोक 16–17 में वर्णन है,
"सप्तमुखी रुद्राक्ष ‘अनंग’ नाम वाले महाभाग्यशाली कामदेव का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्वर्ग से पतन (स्वर्ग की चोरी) से भी मुक्ति मिल जाती है।"
इन दोनों शास्त्रों से स्पष्ट होता है कि सात मुखी रुद्राक्ष केवल एक पवित्र मणि नहीं, बल्कि स्वयं कामदेव (अनंगस्वरूप) और महालक्ष्मी के दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है।
सात मुखी रुद्राक्ष का आध्यात्मिक महत्त्व
सात मुखी रुद्राक्ष भगवान कामदेव (अनंगस्वरूप) का प्रतीक माना जाता है।
यह आकर्षण, प्रेम, सौंदर्य और आनंद का स्रोत है।
इसे धारण करने वाला साधक न केवल सांसारिक सुख-संपदा प्राप्त करता है, बल्कि आत्मिक शांति और गहन संतोष का अनुभव भी करता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से साधक को महालक्ष्मी की कृपा से जीवन में धन, समृद्धि, वैभव और ऐश्वर्य का संचार होता है तथा दरिद्रता और अभाव का पूर्ण नाश होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ और प्रभाव
- दरिद्रता, अभाव और आर्थिक संकट का नाश करता है।
- महालक्ष्मी की कृपा प्रदान करता है।
- धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का संचार करता है।
- प्रेम, आकर्षण और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।
- मानसिक तनाव, चिंता और नकारात्मकता दूर करता है।
- मन और हृदय को शांति, संतोष और प्रेम से भर देता है।
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सभी रुद्राक्ष नेपाल की पावन भूमि से शास्त्रसम्मत विधि और श्रद्धा के साथ लाए जाते हैं।
प्रत्येक सात मुखी रुद्राक्ष प्राकृतिक, प्रामाणिक और ऊर्जावान होता है।
हर रुद्राक्ष का चयन अत्यंत सावधानी से किया जाता है, ताकि वह धारण करने वाले को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के कल्याण का अनुभव करा सके।
हर रुद्राक्ष को हमारे पास आने से पहले पंचमुखी भगवान श्री पशुपतिनाथ जी को स्पर्श कराया जाता है, जिससे यह स्वयमेव जाग्रत अवस्था में आपके लिए उपलब्ध होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष की धारण विधि
मंगलवार या शनिवार को पवित्र स्नान कर शुद्ध होकर भगवान कामदेव की पूजा करें।
‘नमः शिवाय’ पंचाक्षर मंत्र का 108 बार जप करें।
तत्पश्चात सात मुखी रुद्राक्ष को चाँदी, पंचधातु या लाल रेशमी धागे में धारण करें।
श्री पशुपतिनाथ हम सबकी रक्षा करें।
नमः शिवाय। 🙏